Friday, September 24, 2021

The 7 Habits... (Book) - मेरी नज़र से




इस सप्ताह मैंने "The 7 Habits Of Highly Effective People" पढ़ी।  इस पुस्तक के बारे में पहले ही बहुत कुछ लिखा जा चुका है और पूरी दुनिया ने इसे पहले ही स्वीकृति दे दी है।  मैं बस इतना कहना चाहूंगा के ये किताब एक जीवन दर्शन है।  सारे धर्म शास्त्रों का सार है। इसे हर व्यक्ति को अनिवार्य रूप से पढ़ना चाहिए और अपनी ज़िन्दगी में अपनाने के लिए कोशिश करते रहना चाहिए।  


अगर इस पुस्तक के सिद्धांत को हम बच्चो को सिखाये तो आने वाली पीढ़ी देश के लिए बेहतर नागरिक दे पायेगी और दुनिया एक बेहतर जगह हो जाएगी जीने के लिए। वैसे लेखक स्टीफन  ने already ये काम शुरू कर दिया था अपने जीवन में ही और उनकी संस्था और कंपनी दुनिया भर में Organizations और schools में अपना प्रोग्राम चलाते हैं।  ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। 


हमेशा की तरह यहाँ इस किताब में बताई गयी कुछ खास बातें 


सात आदतें ये हैं - 

  1. प्रोएक्टिव बनना 
  2. अंत को ध्यान में रखकर शुरू करें 
  3. पहली चीज़ पहले रखें 
  4. जीत / जीत (Win Win ) सोचें 
  5. पहले समझने की कोशिश करें फिर समझे जाने की 
  6. सिनर्जी का प्रयोग करें 

पुस्तक आपके दिल के बिलकुल बीच से बात शुरू करती है और उसी पर अंत करती है। ये एक प्रकिर्या है। इसमें वक़्त लगता है। इस पुस्तक का उद्देश्य आपको एक बेहतर इंसान से महानता की ओर ले जाने की कोशिश करना है। 

इसके सिद्धांत जीवन के हर पक्ष पे लागु होते है। परिवार , स्कूल , कॉलेज , ऑफिस , बिज़नेस , संस्था , देश , समाज।  हर दौर में ये meaningful रहेगी।  क्यूंकि जैसा के स्टीफन कहते हैं, ये सिद्धांत पे आधारित है जो कभी बदलते नहीं हैं, वो शास्वत सत्य हैं। 


-- असलम बारी 


Friday, September 17, 2021

Alchemist (Book) - मेरी नज़र से


पिछले हफ्ते मैने "Alchemist" (by Paulo Coelho, 1988) किताब को पढ़ा। इसके बारे में हज़ारो बातें आपको पहले ही मिल जाएंगी। मैं इस किताब का कोई review नहीं लिख रहा, मैं बस आपसे इस बात को शेयर करना चाहता हूँ के मैने इस किताब से क्या सीखा और क्या मुझे अच्छा लगा। 


इस किताब में कई सीख मिलती हैं :

  • अपने सपनो में विश्वास रखना 
  • अगर आप किसी चीज़ को पाना चाहते हैं तो पूरी कायनात उसे पाने में आपकी मदद करती है   (Yes, शाहरुख़ खान की मूवी का डायलॉग, शायद यही से लिया गया था )
  • जीवन में कभी अपनी मंजिल न भूलो, चाहे आपके रास्ते मुश्किल हो, आपको रुकना पड़े, मुड़ना पड़े, वापस जाना पड़े, लेकिन अपनी मंज़िल की तरफ़ अपना सफर जारी रखो। 
  • "ये तो पहले से लिखा हुआ है (मक़तूब ), इससे ज़्यादा गुमराह करने वाली चीज़े नहीं होती। इंसान जो पाना चाहे उसे पा सकता है।  अगर कोई अपने सपने को पूरा करने की हिम्मत नहीं दिखाता और कहता है के ये तो लिखा हुआ है तो वो अपनी कमजोरी और पछतावे को छिपा रहा है। भले हम अपनी मंजिल तक नहीं पहुंचे लेकिन जो सफर आपने तय किया हुआ होगा उससे आपने अनगिनत रिश्ते , कायनात के राज़, खुशिया, अनुभव हासिल किया होंगे। जैसा के हमारे उस्ताद Javed Ghamidi साहब भी कहते हैं के अल्लाह ने इंसान की किस्मत में बहुत कुछ लिखा होता है लेकिन उसके साथ ये शर्त भी लिखी होती है के अगर ये शख्स ये कोशिश करेगा तभी उसे फलां चीज़ मिलेगी। 
  • सच्चा प्यार आपको कभी रोकता नहीं है।  जिस प्यार में sacrifice होता है, वो महान होता है, वो आपको आगे बढ़ाता है , आपके सपने को भी। 
  • "दिल एक बेलगाम घोड़े " की तरह होता है। हमे उसे प्यार और विश्वास में लेना होता है। हमे उसकी सुननी होती है। उसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। एक बार दिल अगर आपके विश्वास में आ जाये तो फिर दिल आपको कभी डरायेगा नहीं, वो आपको खतरे से चेतावनी देगा , लेकिन आपका साथ देगा। 
  • बदलाव से घबराना नहीं चाहिए।  अगर आपको अपने पे पूरा भरोसा है, आपमें साहस है तो आपको अपने comfort zone से बाहर आना होगा और फिर आपको कभी किसी बदलाव से डर नहीं लगेगा। 
  • ये ज़िन्दगी आपको जगह जगह सिखाती है। कोई अगर ये कहता है के उसने दुनिया देख ली और अब जानने को कुछ नहीं बचा तो अगले ही पल ज़िन्दगी उसे चौंका देगी। इसलिए ये एक सफर है। यहाँ हर पल अपना दिल खुला रखते हुए आप ज़िन्दगी से सीखते हुए चलिए। 


इसी तरह के और भी कई lessons  इस किताब में भरे पड़े हैं। लेखक ने बहुत खूबसूरत तरीके से सब कुछ पेश किया है जैसा के सब कुछ हमारे सामने ही घट रहा हो चाहे वो पिरामिड्स हो, चर्च हो, रेगिस्तान हो या फिर खासकर वो कुँए वाली लड़की के साथ लड़के की पहली मुलाक़ात।  सब कुछ सामने होता महसूस होता है। 

एक और बात, इस किताब को पढ़ते हुए मुझे Holy Quran से हज़रत यूसुफ (अ.स.) के किस्से और उनके जीवन के सफर और कहानी की बहुत झलक मिली और खास बात ये भी थी के इस कहानी में भी एक किरदार एक जगह पर, हज़रत  यूसुफ (जोसेफ ) का जिक्र करता है। उनकी ज़िन्दगी की कहानी भी बहुत प्रेरणा देने वाली है। 


अभी के लिए इतना ही, फिर मिलेंगे।


Wednesday, August 14, 2019

15 August - Our Duties

Today we are celebrating our 73rd Independence Day. On this occasion, I want to give a small message to all my friends and known.

As a good citizen, if we start making others and our-self as a Educated and Responsible citizen, then it will be great service to our country and society.

Lets start with your circle. Lets start first step. Find out youngsters / teenagers around you like your children, neighbors, nephew, nieces, cousins and their friends. Make them aware or guide them how to do a responsible vehicle driving. Why we should follow traffic rules. What makes people irritate on road while driving. Why we should not horn without any need. How to do driving with patience.We should respect people while driving. We should do gentleman driving. Lets start with this.


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आज हम अपना 73 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। इस अवसर पर, मैं अपने सभी दोस्तों और परिचितों को एक छोटा सा संदेश देना चाहता हूं।

एक अच्छे नागरिक के रूप में, यदि हम एक शिक्षित और जिम्मेदार नागरिक के रूप में दूसरों को और खुद को एक शिक्षित और ज़िम्मेदार नागरिक बनाना शुरू करते हैं, तो यह हमारे देश और समाज के लिए बहुत बड़ी सेवा होगी।

अपने सर्कल से शुरू करें। पहले चरण की शुरुआत करें अपने आसपास के बच्चों, पड़ोसियों, भतीजे, भतीजों, चचेरे भाइयों और उनके दोस्तों की तरह युवाओं / किशोरों का पता लगाएं। उन्हें जागरूक करें या उन्हें निर्देशित करें कि एक जिम्मेदार वाहन ड्राइविंग कैसे करें। हमें ट्रैफिक नियमों का पालन क्यों करना चाहिए। गाड़ी चलाते समय लोग सड़क पर क्या करते हैं। हमें बिना किसी आवश्यकता के हॉर्न क्यों नहीं बजाना चाहिए। धैर्य के साथ ड्राइविंग कैसे करें। हमें ड्राइविंग करते समय लोगों का सम्मान करना चाहिए। हमें सज्जन ड्राइविंग करनी चाहिए। इससे शुरू करते हैं।

Sunday, November 20, 2016

"Anti" सोशल नेटवर्किंग

पिछले कुछ वर्षो में इन्टरनेट सोशल नेटवर्किंग ने बहुत लोगो को जोड़ा है ! सबका कारन अलग अलग हो  सकता है। किसी का टाइमपास, किसी का बिज़नस , किसी का पर्सनल इत्यादि। लेकिन जब से इन्टरनेट का इस्तेमाल राजनीतिक कारणों से होने लगा तो ये स्थिति काफी भयावह हो गयी है। लोगो ने इसे नफरत फ़ैलाने का जरिया बना लिया है। हम किसी एक आदमी को पसंद करते है , तो बिना कारन उसके हर कार्य की तारीफ करना और दुसरे व्यक्ति की हर पहल और कोशिश का विरोध करना।  विरोध करना ठीक है , लेकिन उसे अपशब्द कहना, उसे धमकिया देना और उसे नफरत की निगाह से देखना , ये वाकई हमारे समाज को अंधकार में ले जाने की तरफ कोशिशें लगती है। क्या हमारे स्वतंत्रा सेनानी अलग अलग पथ से इस देश  के लिए नहीं लड़ रहे थे? क्या उनके विचारो में मतभेद नहीं थे? लेकिन क्या वो इस तरह कभी नफरत किया करते थे ? नहीं।

एंकर नावेद ने क्या खूब कहा "अगर आप किसी व्यवस्था के पक्ष में हैं , तो उसका विरोध करने वालो की तकलीफ को एक बार देखे, समझे, उन्हें सिरे से ख़ारिज न करे।  हो सकता है आपका विचार बदल जाये।  और अगर आप किसी व्यवस्था के विरोध में हैं , तो एक बार उस व्यवस्था के दूरगामी परिणामो के बारे में गहन चिंतन कीजिये, केवल लाठी उठाके विरोध मत शुरू कीजिये।  हो सकता है , आपका विचार भी बदल जाये। "


मुझे अब लगता है, मुझे भी लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग माध्यमो से थोड़ा अब दूर हो जाना चाहिए।  जिस वजह से इससे जुड़े थे, अब वो वजह नज़र नहीं आती। मुझे अफ़सोस अपने उन शिक्षित दोस्तों के लिए भी होता है जो बिना सोचे, जाने , बस एक "फेक" खबर को सच जान लेते हैं , और उसे फ़ैलाने में और उसपे अपनी "कीमती" राय देने में कोई तकलीफ नहीं समझते।

एक नागरिक होने के नाते ये हमारा फ़र्ज़ है के हम ऐसी झूटी खबरों को ना फैलाये जब तक के आपको पूरा इत्मीनान न हो।  आजकल एक नया दानव इन्टरनेट पे चर्चित है जिसे हम "इंटरनेट ट्रोल " कहते हैं।  ये बहुत ही घातक है। बिना किसी सबूत के झूटी खबरे फैलाना, अपने पक्ष के आदमी को सुपर हीरो बनाना , उसके हर नाज़ायज़ काम को ठीक साबित करना , और दुसरे पक्ष को किसी भी तरह बेइज़्ज़त करना। ये सब इस ट्रोल के काम हैं।

मैं हर एक की ज़िम्मेदारी तो नहीं ले सकता या उनके पकड़ पकड़ के समझा सकता हूँ।  हाँ, मैं खुद को इस मिडिया से दूर रखना चाहता हूँ। और बस वही मिडिया का साधन पसंद करना चाहता हूँ, जो इस समाज को आगे बढ़ने में मदद करे, उसके वैल्यूज को उठाने में मदद करे।

मैं अपने उन तमाम दोस्तों से ये निवेदन करना चाहता हूँ, के आप अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा के साथ साथ , अच्छी नैतिक शिक्षा दें।  आज हमारे आस पास अच्छाई बुराई ख़तम होती जा रही है , सच और झूट का फर्क मिटता जा रहा है।  "क्या फर्क पड़ता है ", जुमला आम हो गया है।  मेरे पडोसी के घर चोरी हुई है , मुझे क्या फर्क पड़ता है। आपसी संवेदना ख़तम हो गयी है।  ये वो समाज नहीं जिसकी कल्पना हम करते है।
बाकि आप लोग समझदार है ही , अपनी ज़िम्मेदारी खुद समझते है।

चलते चलते एक और बात कहते चलु, फेसबुक या वाट्सअप पे "hi hello " करने से बेहतर है, आप मुझसे पर्सनली आके मिले। मेरे घर या मेरे दफ्तर या किसी चाय की थड़ी पे।  वो सोशल नेटवर्क जो हमारे बुजुर्गो ने बनाया है वो कही बेहतर  है इस आभासी इन्टरनेट के सोशल नेटवर्क से।

असलम बारी 

Sunday, June 8, 2014

एक हसीन ख्वाब

बात शुरू होती है बचपन के उन खूबसूरत मौसमों से , जब दिन गुज़रते थे हर डाल डाल पात पात। दूर से मदभरी हवाओं में उड़ते हुए बदल, घटाओं  का वो मदहोश कर देने वाला संगम।  जाने अनजाने से वो गीत निकल ही जाता था - ये शाम मस्तानी , मदहोश किये जाए।
 दोस्तों का इतना जमघट तो नहीं था लेकिन तन्हाई का नामोनिशां भी नहीं था। कुदरत अपने हज़ार हाथों के साथ खेला करती थी।  वक़्त गुज़रा। दिन बीते। वो ज़माने गए। फुर्सत के रात दिन भी ना रहे। सुना था मौसम नहीं बदला करते लेकिन अब वो मौसम महसूस भी तो नहीं होते। वो बारिश वैसी बारिश ना रही। गर्मी में अब वो चमक ना रही। ऐसा भी होता है के हम बदल जाते हैं शायद, मौसम वही रहते हैं।
खैर मैं अपने ख्वाब की बात करना चाहता था। एक बस्ती है। कच्ची सड़कें। छोटे छोटे घर। कुछ झोपडी नुमा। कुछ  ईंटो से बने पैबंद शुदा। यही कोई 40 - 50 घर होंगे उस बस्ती में। अक्सर घर आपस में जुड़े हुए थे। हर घर के बाहर एक छोटा सा आँगन है। बस्ती में एक चौक भी है। एक सरकारी बल्ब लगा हुआ है जो अपनी उम्र को पहुँच चुका है। छोटे छोटे बच्चे आपस में खेल  कूद रहे हैं। हर घर में एक रूह महसूस होती है। वो बस्ती ही रूहानी लगती है। वहां कोई किसी की जात पात नहीं जनता। कहीं अगर ऐसी बाते सुनने में भी आती तो वो तो वो लोग अक्सर मासूमियत से अपने कंधे झुका देते और ये महसूस करा देते के ये बातें बड़ी बोझिल हैं। हमे इससे कोई सरोकार नहीं।
लोग क्या हैं के बुज़ुर्गी को पहुंचे हुए। कोई बच्चा भी गलती करता  तो कोई भी बस्ती का बडा उसे डांट देता।  कई बार पिटाई भी की जाती। लेकिन मजाल है के उनके माँ बाँप उफ़ भी करें। उन्हें यकीन था के बस्ती का हर बुज़ुर्ग उनके बच्चो की खैरियत ही चाहेगा। 

त्योहारों में जान होती।  क्या ईद , क्या दिवाली, वहां तो हर दिन ईद , हर दिन दिवाली होती।
तभी ख्वाब में देखता हूँ के मैं पता नहीं कहाँ से लेकिन मैं उस बस्ती में चला आता हूँ। मेरा अपना घर इस बस्ती में नहीं है लेकिन इसकी फ़िक्र किसे थी , वहां तो हर घर अपना ही घर था। बस्ती में घुसते ही बच्चे दौड़ आते।  मुझे घेर लेते। मैं अक्सर उनके लिए कुछ न कुछ ले आता। बस्ती में घुसते ही शांति मौसी का घर पड़ता। मेरे आते ही वो पूरे हक़ से बोलती "चल आजा खाना तैयार है ", इसी बीच सामने वाले घर से ज़रीना दौड़ती हुई आई। उसके हाथ में हमेशा की तरह मिठाई होती, वो बोलती "नहीं शांति मौसी , आज भाईजान हमारे यहाँ खाना खाएंगे", दोनों में बहस होती और मैं हमेशा की तरह शांति मौसी के घर जाता, और ज़रीना को उसके पसंद की गुड़िया बनाने का सामान दे देता। 
                                               वो मकान मानिंद महल , वो लोग जैसे फ़रिश्त।
                                               क्या बात है इस जगह की , दौर हो जैसे कोई गुज़िश्त।।
                                                                                                                            --सै. असलम बारी 'साहिल'

शाम को अक्सर लोग चौक में जमा होते। बुज़ुर्ग किस्से कहानियां सुनाकर अपने तजुर्बे बयां करते। मैं अक्सर सारे घरों में जाया करता।  कोई मुझे चारपाई पर बैठा लेता। कोई दुआएं देता। उनकी बातों में प्यार भरा होता। वो लोग गरीब थे , लेकिन दिल के इतने रईस मैंने कभी नहीं देखे। लोग एक दूसरे से मिलते , मोहब्बत से भरी बातें करते। कभी किसी के घर खाना नहीं बना होता, तो पड़ोस के  लोग अपना खाना बाँट लिया करते। वहां कोई भी गैर मुनासिब बात सुनने को नहीं मिलती। अक्सर शाम को हम लोग परमजीत चाचा के घर जमा होते।  उनका आँगन बड़ा था। बस्ती के कुछ लोग और बच्चे वहां अक्सर पढ़ने के लिए जमा होते। बहुत खूबसूरत शाम होती। मैं अक्सर वहां पढ़ाया करता। वो बच्चे बहुत दिल से पढ़ा करते।  उनको देख बहुत अच्छा लगता।  आखिर वो हमारा मुस्तकबिल हैं।  वहां लोग पढ़ते , चर्चाये करते , एक दुसरे के सुख दुःख सुनते। और भी बहुत कुछ है कहने को उस बस्ती के बारे में। इन्शाह अल्लाह ,  वक़्त मिला तो फिर बात करेंगे
आज जब मैं ज़िन्दगी की भागदौड़ मैं मसरूफ हूँ, जब भी ये ख्वाब देखता हूँ, सुकून मिलता है। ये  ख्वाब बस मेरा ही नहीं है, मेरी तरह सोचने वाले हज़ारो लोगो का है। उम्मीद है हम सबके ख्वाब पूरे हों। उसके लिए हमे ऐसी किसी "सपनो " की बस्ती को खोजने की ज़रूरत ना पड़े। हमारा घर , पड़ोस , शहर ही उस हसीं बस्ती की शक्ल ले ले। लोगो में इंसानियत पैदा हो और हमारा समाज  मुकम्मल हो जाये।
                                                कुछ तू बढ़े , कुछ मैं बढ़ू , फिर "वो " दे साथ मेरा।
                                                बेशक ये ज़मीं तेरी , आसमां तेरा ,
और जहाँ तेरा।।
                                                                                                                              -- सै. असलम बारी 'साहिल'
                                                                                                           
आमीन 

Sunday, February 20, 2011

Enhance Your Leadership Skills

Leadership is what? Its a skill or value motivating people around you for a common goal, keeping them happy and achieving good things on best time. Who is Leader? Leader is the person who knows their team members very closely, knows about their benefits, knows about what makes them happy, knows what makes them unhappy, knows when to take hard decisions, knows always best time is to achieve things.

I am here today to discuss and giving my opinion about best leaderships. It does not mean that i am already a best leader, no, i am not. But i know the things how to reach that level and trying to be there. Anyway, in my opinion some big things which every leader must keep in mind when leading a team and wanted to get success:

1) Your Team: Yes, your team, your members are your power, without team there is no sense to be a leader. Always keep your team members benefits and their happiness on top priority. Go to them, talk to them, make them laugh, listen their problems, try to fix their issues. You must have heard about Great Ashoka, who used to go out in disguises always in night to know about his people issues, and their feelings about the kingdom. So be very frank with your team. Remember if they are avoiding to tell you any problems, means there is some issues with your leadership.

2) Be good listener, Influence Speaker: A good leader always have great patience. He always listen his team members, he listen them very carefully. He thinks more and deeply. He speaks less, but whenever he speaks, he influence people. People like to listen their leader. History has great example about great leaders has this thing, Swami Vivekanad, Allama Iqbal, Nepolean, Hitlor. So speak like that people enjoy you, follow you, and want to do whatever you say.

3) Be cool, have patience: Its very important thing for a successful leader, he must be cool mind. He must not take any impulsive decisions based on anger or impatience way. One should control his anger. Be cool, think cool. Sometimes you don’t get good results from your team members on time or they may have messed up things, that time you need to take decisions and behave with cool mind. Even, you must go to them and keep them normal like " this happens", "don’t worry we will do again", "never mind me also did once this mistake" etc etc. The best leader always comes in my mind with this example is Mahatma Gandhi. He was really cool and have great patience which makes him Great Leader for all time.

4) Be on earth, you are not GOD: Its a common problem with success, if you keep getting success with your leadership, one time comes when you may feel that there is nobody like you, you have done all this, you are really brilliant and you can do anything with any team bla bla bla. If this thinking comes in your mind then its true that your time is now over and your golden days are over for leadership. You must have heard "Vinaash kaale, vipreet buddhi". So, be always on earth, between your people. Yes, you are a good leader, but you are not everything. Don’t behave egoistic. Be simple. Many great leaders followed this rules like Mahatma Gandhi, Ravindranath Taigore, Vivekanand, Narayan Murthi, Dheeroobhai Ambani etc.

5) Be loveable, be ideal: You must keep working on your behaviour, your talking way, your thinking, your values etc. So that people love you, people want to see you as their ideal person. This is not easy, it really needs your work hard and makes you best person also. I remember one Sher ont this:

"Khudi ko kar buland itna ke har taqder se pehle

Khuda bande se ye poche bata teri raza kia hai"

6) Your Values, your skills: A good leader always has great values, that’s why people choose him to be a leader. Value can be anything which gives you strength and people have faith in that for you. Like if you are technical leader, then you must have sound knowledge about what you leading people. If you are a Religious Leader, then you must have very deep knowledge about that religion. If you are a Military Leader, then you must have great knowledge about military/defense things. So, the bottom-line is that leadership goes well, when you keep your values, skills some ahead of your members.

There are many more things which needs you to be a good leader, i just given some high level thoughts. Try to work on the above points and you will feel changes in yourself and in your leadership also.

Thanks

Aslam Bari

Sunday, October 31, 2010

One of the Legendry songs of times…

This Sunday I watched a classic black&white movie "Johar In Kashmir". I never saw this movie before. I was just attracted by this movie's theme which is very related/based to current problems happening in Kashmir’s valley. I think this movie contains very good contents of actual problems of valley that time as well as current time also. It shows how some valley people who live in area which is Pakistan occupied Kashmir. They are supplied weapons and come to India in disguise and started violence and terrorism. The subject which is still current. Anyway, I am not here to describe political area or going to give a speech on this, I am only here to talk with you about one of the beautiful song I watched in this movie.

"Be-gunahoon ka lahoo hai ye rang laayega..."



The platform of this song is very new for me (And if I am not mistaken I never saw this type of plot of the song before in any movie). Here our Hero (I.S. Johar), who works for Indian Army in Kashmir (Home Guard), comes to Pakistan (The Kashmir area which is occupied by Pakistan). He comes here in the disguise of a Darvesh (Islamic Holy Man). And in the middle of Pakistani people, he starts this beautiful song to make them understand that "Terrorism is not a good thing. It’s very very bad; you will not get anything from this. Killing people is very very big crime, He (Allah) watching all your deeds and you will be punished one day. This is not good to fight with your neighbor. Religion never says to kill anybody; Religion is for peace and love. So, keep piece, increase love, be a good man, be a real Human."

The magical and very meaningful lines from the song:-

Nahi kaafi hai musalmaan hona,
Bas nahi hafiz-e-Quraan hona,
Allah-t-aala ka pyaar pane ko,
Laazmi hai tera insaan hona,
Amal to sath tere ho lega,
Khoon to sar pe chhad ke bolega,
Khuda mazhab hi na dekhega tera,
Teri insaaniyat bhi toolega,
Pyaar par rakhi hai buniyaad har ek mazhab ki,
Koi talwar pe rakhega to kya payega

One last thing i really want to mention is about I.S. Johar. He is a very different kind of person and only one of his type. It is amazing that he is the Producer, Director, Writer and Actor in this movie, really versatile personality :)

Hope you will enjoy this song.

Thanks
Aslam Bari